बॉलीवुड में पिछले कुछ सालों में नेपोटिज्म को लेकर बहस होती रही है। ऐसा माना जाता है कि भाई-भतीजावाद के चलते आउटसाइडर्स को इंडस्ट्री में मौका नहीं मिलता और मेकर्स नेपोकिड को अपनी फिल्मों में प्राथमिकता देते हैं। कई ऐसे एक्टर्स ने अपने करियर के अनुभवों को शेयर भी किया जब उन्हें किसी फिल्म में लिया गया लेकिन अचानक स्टारकिड्स के चलते उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। आज इस रिपोर्ट में ऐसी ही एक एक्ट्रेस के बारे में बताने वाले हैं जिनका करियर नेपोटिज्म की वजह से आगे नहीं बढ़ पाया। इस एक्ट्रेस का नाम मिंक बरार (Mink Brar) है।
देव आनंद ने अपनी फिल्म में दिया मौका
मिंक बरार को डेब्यू तो शानदार मिला लेकिन उनका करियर उस तरह आगे नहीं बढ़ सका कि उनकी गिनती स्टार में होनी लग जाए। मिंक को पहला मौका देव आनंद ने फिल्म ‘प्यार का तराना‘ में दिया। यह फिल्म सितंबर 1993 में रिलीज हुई थी। उनके अलावा इसमें अक्षय आनंद और अनीता अय्यूब ने मुख्य भूमिकाएं निभाईं। यह बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप हो गई।
जर्मनी में पली-बढ़ी मिंक
मिंक का जन्म जर्मनी के फ्रैंकफुर्ट में हुआ था। उन्होंने वहीं से पढ़ाई-लिखाई की। पंजाबी परिवार से ताल्लुक रखने वालीं मिंक के परिवारवाले चाहते थे कि वो कोई अच्छी सी नौकरी करें लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था। उनका परिवार रूढ़िवादी विचारों का था और बेटी के फिल्मों में काम करने को लेकर खुश नहीं था।
इस तरह मिली पहली फिल्म
मिंक को छोटी उम्र से ही हिंदी फिल्में देखने का बड़ा शौक था और यहीं से वो हीरोइन बनने के सपने देखने लगीं। जब वो केवल 13 साल की थीं तब उन्हें पता चला कि देव आनंद फ्रंकफुर्ट में शूटिंग कर रहे हैं। वो उनसे मिलने पहुंच गईं। देव आनंद को उनकी कद काठी और खूबसूरती फिल्मों के लिए परफेक्ट लगी। इस तरह उन्होंने अपनी फिल्म ‘प्यार का तराना‘ में मौका दे दिया।
पहली फिल्म के फ्लॉप से हुआ नुकसान
मिंक ने घरवालों को मनाया और जर्मनी से शूटिंग के लिए मुंबई पहुंच गईं। पहली फिल्म के फ्लॉप होने से उन्हें छोटे-मोटे रोल मिलने लगे। 1999 में आई फिल्म ‘मां कसम‘ में उन्हें एक बार फिर से लीड रोल में लिया गया। उन्होंने मिथुन चक्रवर्ती के अपोजिट फिल्म में काम किया। मिंक उस दौर की बोल्ड अदाकाराओं में थीं। इस फिल्म के बाद भी उनके करियर को कोई फायदा नहीं हुआ।
सपोर्टिंग रोल की ओर किया रुख
जब लीड रोल मिलना बंद हो गया तो मिंक ने सपोर्टिंग रोल करने शुरू किए। उन्होंने ‘हम आपके दिल में रहते हैं‘, ‘ज्वालामुखी‘, ‘बादल‘, ‘अजनबी‘, ‘राज‘, ‘चलो इश्क लड़ाएं‘, ‘बॉर्डर हिंदुस्तान का‘ और ‘उप्स‘ जैसी फिल्मों में काम किया। मिंक का स्ट्रगल खत्म नहीं हुआ और वो धीरे-धीरे इंडस्ट्री से दूर होती चली गईं।
नेपोटिज्म का हुआ नुकसान
खूबसूरत और टैलेंटेड होने के बावजूद मिंक सफल नहीं हो पाईं क्योंकि उस दौर में मेकर्स स्टारकिड्स को फिल्मों में लॉन्च करने में लगे हुए थे। इनमें काजोल, रवीना टंडन और करिश्मा कपूर हैं। इन एक्ट्रेस को मेकर्स अपनी फिल्मों में कास्ट कर रहे थे। मिंक का कोई गॉडफादर नहीं था तो उन्हें अच्छी फिल्में नहीं मिल रही थीं। उन्होंने अपना प्रोडक्शन भी खोला लेकिन अफसोस उनके प्रोडक्शन की फिल्म ‘कठपुतली‘ भी बुरी तरह फ्लॉप हो गई। यह उनकी आखिरी फिल्म थी।
टीवी में भी किया काम
फिल्मों में काम नहीं मिला तो फिर उन्होंने टीवी की ओर रुख किया। उन्होंने कलर्स टीवी पर प्रसारित डांसिंग रियलिटी शो ‘डांसिंग क्वीन‘ में कंटेस्टेंट के रूप में हिस्सा लिया। इस शो को जीतेंद्र, हेमा मालिनी और लीजा मलिक जज करते थे। मिंक ‘बिग बॉस‘ सीजन 6 में बतौर वाइल्ड कार्ड कंटेस्टेंट पहुंची थीं। कई बार बिग बॉस से भी सितारों की किस्मत चमक जाती है लेकिन मिंक यहां भी नाकाम रहीं। ‘बिग बॉस‘ के बाद मिंक स्क्रीन पर नहीं दिखीं।